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13 January 2022

Iron and Steel Industries in India(भारत में लोहा इस्पात उद्योग)

 

Iron and Steel industries
Iron and steel Industry

धातुओं में सबसे महत्वपूर्ण एवं क्रांतिकारी धातु के तौर पर लोहा को जाना जाता है जब से लोहा की खोज हुई उसके बाद से के युग को लौह युग के नाम से जाना जाता है । लोहे के खोजने धातुओं धातु से निर्मित वस्तुओं को अधिक टिकाऊ एवं मजबूत बना दिया आज की युग में लोह-इस्पात का महत्व काफी अधिक है । हर छोटी से लेकर बड़ी चीज के निर्माण में लोहा का विशेष महत्व होता है इससे सुई से लेकर हवाई जहाज तक तथा औजारों से लेकर कारखानों तक के सभी चीजो का निर्माण किया जाता है।

विश्व के बड़े से बड़े देश आज लोहा इस्पात के उत्पादन में अधिक से अधिक जोर दे रहे हैं इसका सबसे बड़ा कारण उनकी विकास में इस बात का सहयोग हैं उदाहरण के तौर पर चीन के विकास में लोहा का योगदान काफी महत्वपूर्ण है ठीक उसी तरह से अमेरिका के विकास में भी लोहा का योगदान अतुलनीय है

भारत जैसे विकासशील देशों के लिए भी लोहा इस्पात उद्योग एक महत्वपूर्ण एवं आधारभूत उद्योग होता है केवल देश के विकास में सहयोग करता है बल्कि अन्य उद्योगों को आधार देने का भी काम करता है

भारत में पहला लोहा इस्पात उद्योग आधुनिक आधुनिक तौर पर स्थापित करने का प्रयास 1890 ईस्वी में किया गया था बंगाल आयरन एंड वर्क्स के रूप में उल्टी में लेकिन यह असफल रहा था इसके बाद 1907 ईस्वी में जमशेदजी टाटा द्वारा टिस्को की स्थापना की गई है यह भारत का पहला सफल लोहा इस्पात उद्योग था। इसके बाद भारत के लोहा इस्पात उद्योग का विकास तेजी से हुआ और वर्तमान में बहुत सारी लोहा इस्पात उद्योग स्थापित है लोहा इस्पात संयंत्र की स्थापना की दृष्टि से प्रथम पंचवर्षीय योजना कुछ प्रभावशाली नहीं रही लेकिन दूसरी पंचवर्षीय योजना में काफी तेजी से विकास हुआ और बहुत सारे लोहा इस्पात उद्योगों की स्थापना हुई जिसमें प्रमुख है भिलाई इस्पात संयंत्र दुर्गापुर इस्पात संयंत्र राहुल के आसपास संयंत्र एवं बोकारो इस्पात संयंत्र यह सभी लोहा इस्पात उद्योग आज भारत की विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान निभा रहे हैं जिसके परिणाम स्वरूप आज भारत चीन अमेरिका और जापान के बाद चौथे स्थान पर आ गया है भारत में इस्पात संयंत्र के विकास में सरकारी एवं निजी दोनों उपक्रमों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है और भारत के कुछ प्रमुख उपक्रम निम्नलिखित है: :-

1)TISCO टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी

भारत का सबसे पहला एवं सफल लोहा इस्पात उद्योग के तौर पर टिस्को को जाना जाता है इसकी स्थापना 1907 ईस्वी में जेएन टाटा द्वारा की गई थी इसकी स्थापना वर्तमान झारखंड तथा तत्कालीन बिहार के क्षेत्र में स्वर्णरेखा और खरकाई नदी के संगम पर साकक्षी नामक स्थान में इस उद्योग की स्थापना की गई थी क्षेत्र कोलकाता से 240 किलोमीटर दूर उत्तर पश्चिम की ओर झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में स्थित है इस संयंत्र में 1908 ईसवी से कच्चा लोहा बनाया जाने लगा था और 1911 में इससे इस्पात बनाना प्रारंभ किया गया।

टिस्को कि यहां पर स्थापना के कुछ प्रमुख कारण थे जो कि निम्नलिखित है:

क्षेत्र मुंबई नागपुर कोलकाता रेलवे मार्ग पर स्थित है इस कारण से इसे कोलकाता बंदरगाह की सुविधा मिल जाती है और इससे आयात और निर्यात करना काफी आसान हो जाता है एवं परिवहन पर कम खर्च होता है

इसे लौह अयस्क बादाम पहाड़ तथा झारखंड के नवा मंडी से प्राप्त हो जाता है 


इसे कोकिंग कोल झरिया तथा बोकारो से प्राप्त हो जाता है

इसे मैग्नीज उड़ीसा के क्योंझर डिस्ट्रिक्ट से प्राप्त होता है

इसे चूना पत्थर उड़ीसा के सुंदरगढ़ जिले से प्राप्त होता है

एवं जल की सुविधा स्वर्णरेखा नदी तथा खरकाई नदी से प्राप्त होती है

इसे सस्ता एवं कुशल श्रमिक आसपास के क्षेत्रों क्षेत्रों से प्राप्त जाता है 

जबकि जल विद्युत की सुविधा डीवीसी से प्राप्त हो जाती है

चित्र

डिस्को संयंत्र का वार्षिक उत्पादन 4000000 टन है टिस्को ने उड़ीसा के भुवनेश्वर के निकट 170 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में एक नया संयंत्र स्थापित किया है यहां पर उत्पादन अभी शुरू होना है।


2)IISCO (इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी)

भारतीय लौह इस्पात कंपनी की स्थापना 1918 ईस्वी में कुल्टी में की गई।बर्नपुर(पश्चिम बंगाल) हीरापुर, कुल्टी, यह तीनों डिस्को के संयंत्र है इनकी स्थापना पश्चिम बंगाल में 18 से 74 1918 और 1937 में हुई थी इन तीनों संयंत्रों का सरकार की अधीन 1972 ईस्वी में कर दिया गया था तब से यह इसको के अंतर्गत आता है हीरापुर संयंत्र में ढलवा लोहा तैयार होता है जिसे कुल्टी भेजा जाता है जहां पर इस्पात तैयार किया जाता है जबकि बर्नपुर में रोलिंग मिल बनाने का कारखाना है इस क्षेत्र में लोहा इस्पात के स्थापित होने के निम्नलिखित कारक थे


इसे सिंहभूम के गुआ की खान से लौह अयस्क प्राप्त होता है

इसे कोयले की प्राप्ति झरिया की खानों से होती है 

इसे ऊर्जा की उपलब्धता डीवीसी से होती है।

डोलोमाइट और चूना पत्थर उड़ीसा के सुंदरगढ़ से प्राप्त होता है।

यह सड़क और रेल मार्ग से कोलकाता से जुड़ा हुआ है। जिससे कोलकाता बंदरगाह की सुविधा उपलब्ध हो पाती है।

सस्ती एवं कुशल श्रमिक पश्चिम बंगाल बिहार और झारखंड के क्षेत्र से प्राप्त हो जाते हैं।


इसको संयंत्र का वार्षिक उत्पादन 3200000 टन इस्पात प्रतिवर्ष है।

MISCO

तत्कालीन मैसूर राज्य में 1923 ईस्वी में स्थापित किया गया था जो 1962 में जिस का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया उसके बाद से इसका नाम विश्वेश्वरैया आईरन एंड स्टील कंपनी रखा गया इस संयंत्र का प्रारंभिक नाम मैसूर लोहा इस्पात वर्क्स था। इस चित्र में लोहा इस्पात उद्योग के स्थापित होने के कुछ प्रमुख कारण है जो कि निम्नलिखित हैं


कर्नाटक की चिकमंगलूर की मांग गुंडी की खानों से हेमेटाइट एस की पूर्ति होती है

इसे सस्ती जल विद्युत की उपलब्धता शरावती जल विद्युत परियोजना से होती है

इसे चुना पत्थर की प्राप्ति गुड्डी गुड्डी किस क्षेत्र से होती है जो कि यहां से केवल 25 किलोमीटर दूर स्थित है

जबकि मैंगनीज शिमोगा और चित्र दुर्ग जिले से मिलता है

और डोलोमाइट और क्रोमाइट स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हो जाता है


HSL हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड भिलाई छत्तीसगढ़

वर्तमान छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना 1957 ईस्वी में द्वितीय पंचवर्षीय योजना के दौरान सोवियत संघ के तकनीकी सहायता से की गई थी यह भारत का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा इस्पात संयंत्र है एवं एक बड़ा लोहा इस्पात उत्पादक संयंत्र है भारत की रेल की पटरियों का उत्पादन इसी क्षेत्र में होता है


इस संयंत्र की स्थापना के कुछ प्रमुख कारक है जो कि निम्नलिखित हैं

इसी हेमेटाइट अयस्क की आपूर्ति दिल्ली राजहरा श्रेणी से होती है जोकि भिलाई के दक्षिण में स्थित है

इसे कोयले की पूर्ति छत्तीसगढ़ के कोरबा और कार गली की खानों से होती है

किसे चुना पत्थर नंदिनी की खानों से मिलती है जो कि यहां से 29 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है

इसी मैंगनीज मध्य प्रदेश के बालाघाट तथा महाराष्ट्र के भंडारा से प्राप्त होती है

किसी विद्युत की प्राप्ति कोरबा के ताप विद्युत संयंत्र से होती है

या कोलकाता नागपुर रेल खंड पर सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है

इसे डोलोमाइट छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से प्राप्त होता है

चित्र



HSL(हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड राउरकेला उड़ीसा)




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