अत्यधिक वर्षा:-
आजकल वर्षा के प्रारूप में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है जहां पर सामान्य वर्षा होती थी अब वहां पर वर्षा में और सामान्यता आती जा रही है इस असमानता के कारण जहां वर्षा कम होनी चाहिए वहां पर अब वर्षा अधिक हो रही है और जहां पर अधिक होना चाहिए वहां पर सूखे जैसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है
इसके अलावा वर्षा की क्षमता भी लगातार बढ़ती जा रही है लगातार दो-तीन दिन तीव्र एवं मूसलाधार वर्षा हो रही है जिसके कारण विश्व के कई क्षेत्रों एवं देशों में बाढ़ जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है
अत्यधिक वर्षा के कारण |
हाल में इस तरह के उदाहरण कई देखने को मिले हैं जहां पर वर्षा के प्रारूप में परिवर्तन के कारण बाढ़ और सूखे जैसी स्थितियां उत्पन्न हो रही है इसका सबसे अच्छा उदाहरण वर्तमान में यूरोप है जहां पर जर्मनी लक्जमबर्ग और फ्रांस जैसे देशों में कम समय में काफी अधिक वर्षा हो गई है जिसका परिणाम है कि वहां पर बाढ़ जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है जर्मनी जैसे संपन्न एवं विकसित देश में इस तरह की स्थिति का उत्पन्न होना एक bhayavah परिस्थिति को प्रकट करता है
इसके अलावा अगर देखा जाए तो इस तरह की स्थिति चीन में भी देखने को मिली है जहां पर हाल में हुई वर्षा में काफी वृद्धि हुई है और चीन में पिछले हजार वर्षों में हुई सबसे अधिक वर्षा इसी वर्ष रिकॉर्ड की गई है इस तरह की जो वर्षा में अनियमितता आ रही है इसका कुछ प्रमुख कारण है जोकि निम्नलिखित है
भूमंडलीय उस्मान (global warming):-पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि होने की क्रिया को ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं और यह ग्लोबल वार्मिंग वर्षा के प्रारूप में परिवर्तन का एक बड़ा कारण है ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम स्वरूप लगातार पृथ्वी गर्म हो रही है जिस कारण से समुद्र के satah लगातार गर्म होते जा रहे हैं जिसके कारण वाष्पीकरण हो रहा है और वायुमंडल में जलवाष्प की मात्रा लगातार बढ़ते जा रही है और इस बढ़ती जलवाष्प की मात्रा का ही परिणाम है कि जहां पर वर्षा कम होनी चाहिए वहां पर जब भी वर्षा हो रही है तो वह इतनी भीषण एवं मूसलाधार हो रही है की बाढ़ जैसी स्थितियां उत्पन्न होती जा रही है
औद्योगिकरण:-औद्योगिकरण के कारण बड़े-बड़े एवं विशालकाय शहरों का निर्माण हो रहा है और उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण भी वायुमंडल में जा रहा है जो कि वायुमंडल को गर्म कर रहा है साथ ही शहरीकरण के प्रभाव स्वरूप भी वायुमंडल गरम हो रहे हैं जिसके कारण वायुदाब में अंतर देखने को मिल रहा है जो की वर्षा का एक प्रमुख कारण है
जंगलों का समाप्त होना:-शहरीकरण के कारण वनों की कटाई हो रही है जिसके कारण तेजी से वनों की संख्या में कमी आती जा रही है और यही परिणाम है कि तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है और साथ ही साथ अपरदन भी जिसके कारण इसका प्रभाव सीधे तौर पर वर्षा और बाढ़ जैसी विभीषिका के रूप में देखने को मिल रहा है
प्रदूषण:-वर्षा के प्रारूप में परिवर्तन का एक अन्य प्रमुख कारण प्रदूषण भी है यह प्रदूषण जो उद्योगों से शहरों से और शहरों में रहने वाले वाहनों से निकलता है जोकि वायुमंडल के तापमान में असंतुलन उत्पन्न कर देता है जिसके परिणाम स्वरूप वर्षा का प्रारूप एवं उसका स्वरूप लगातार बदलता जा रहा है