JUDICAL REVIEW ( न्यायिक पुनर्विचार)
परिभाषा:-न्यायिक पुनरावलोकन वह व्यवस्था है जिसके अंतर्गत कार्यपालिका तथा विधायिका द्वारा बनाए गए नियमों का न्यायपालिका द्वारा पुनः निरीक्षण किया जाता है
अन्य शब्दों में इसके अंतर्गत न्यायपालिका सरकार द्वारा बनाए गए नियमों को संविधान तथा कानून के अनुसार नियंत्रित कर सकती है एवं कार्यपालिका द्वारा किए गए कार्यों की जांच कर सकती है।
जांच के बाद जरूरत के अनुसार कार्यवाही भी कर सकती है इसके अंतर्गत न्यायपालिका नियमों या आदेशों को निरस्त्र भी कर सकती है।
उत्पत्ति एवं विकास:-सामान्य रूप से न्यायिक पुनरावलोकन की उत्पत्ति अमेरिका से मानी जाती है अमेरिका में इसका उपयोग भी काफी अधिक किया जाता है लेकिन "स्मिथ"जैसे विद्वानों का मानना है कि न्यायिक पुनरावलोकन की उत्पत्ति ब्रिटेन में हुई है 1803 में अमेरिका के मुख्य न्यायधीश मार्शल ने मार्बरी vs मेडिसन के प्रसिद्ध न्यायिक विचार के बाद इसकी स्थापना की गई थी
भारतीय संविधान में न्यायिक पुनरावलोकन का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं मिलता है परंतु कुछ आंशिक रूप में इसके प्रमाण प्राप्त होते हैं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 (2) 32 ,226 , 131 , 243 और न्यायाधीशों के शपथ में इसका उल्लेख मिलता है।..
FOR MORE CLICK BELOW TO DOWNLOAD PDF