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05 September 2019

कोरिया संकट






प्राचीन काल से ही एशिया के पूर्वी क्षेत्र में कोरिया प्रायद्वीप चीन का हिस्सा रहा है और वहां पर मंचू राजवंश का शासन रहा है लेकिन जापान जब एशिया में शक्तिशाली होने लगा तो मेजी पुनर्स्थापना के कारण उसकी शक्ति में और भी वृद्धि हुई इसके परिणाम स्वरूप जापान द्वारा अपने साम्राज्य का विस्तार शुरू किया गया इसी क्रम में १८९४ से ९५ में चीन जापान के मध्य युद्ध हुआ इस युद्ध में जापान जैसे छोटे से देश में चीन जैसे विशाल देश को आसानी से हरा दिया एवं कोरिया प्रायद्वीप पर जापान का कब्जा स्थापित हो गया बाद में जापान द्वारा कोरिया प्रायद्वीप को आजाद कर दिया गया एवं जापान अपनी शक्ति में वृद्धि करने लगा लेकिन इसके साथ रूस का प्रभाव कोरिया पर बढ़ता जा रहा था जिसके कारण जापान इससे खुश नहीं था ऐसी स्थिति में जापान द्वारा रूस को सबक सिखाने के लिए रूस से युद्ध किया गया और १९०४-०५ में हुए इस युद्ध में रूस जैसे विशाल देश की हार हुई और जापान जैसे छोटे से देश की जीत एक बार पुनः जापान में अपनी शक्ति को साबित कर दिया इसके परिणाम स्वरूप १९१० आते-आते कोरिया पर जापान का प्रभाव हो गया और कोरिया जापान का उपनिवेश बन गया जापान द्वारा १९१० से लेकर १९४५ तक कोरिया पर शासन किया गया जापान जब द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल हुआ तो शुरुआत में जापान को काफी सफलता लेकिन १९४५ में जब ६ और ९ अगस्त को अमेरिका द्वारा जापान पर परमाणु बम से हमला किया गया तब जापान की स्थिति खराब हो गई एवं जापान द्वारा १० अगस्त को द्वितीय विश्व युद्ध में आत्मसमर्पण कर दिया गया इसी के साथ द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हो गया एवं जो भी देश जापान के उपनिवेश थे वे सारे देश आजाद हो गए इसी के साथ कोरिया भी आजाद हो गया एवं उस समय की  दो सबसे शक्तिशाली देशों द्वारा अपनी विचारधारा का फैलाव कोरिया पर किया जाने लगा यूएसएसआर द्वारा कोरिया के उत्तरी भाग से अपनी विचारधारा का फैलाव शुरू किया गया जबकि यूएसए द्वारा अपनी विचारधारा का फैलाव दक्षिण भाग से किया गया जिसके परिणाम स्वरूप कोरिया दो भागों में बट गया ३८ डिग्री अक्षांश रेखा के आधार पर उत्तर कोरिया एवं दक्षिण कोरिया मैं बट गया उत्तरी कोरिया पर यूएसएसआर के प्रभाव से साम्यवाद के सफल हुई जबकि दक्षिण कोरिया पर पूंजीवाद ऐसी स्थिति में यूएसए तथा यूएसएसआर द्वारा उत्तर एवं दक्षिण कोरिया में अपनी अपनी कठपुतली सरकारों की स्थापना की गई उत्तर कोरिया में किम इल सुंग के नेतृत्व में सरकार की स्थापना की गई जबकि दक्षिण कोरिया में सिंह मैन री के नेतृत्व में सरकार की स्थापना की गई १९५० में दक्षिण कोरिया में हुए आम चुनाव में सिंह मन रे की सर्कार चुनाव हर गई जिसका उठाकर उत्तर कोरिया द्वारा दक्षिण कोरिया कब्ज़ा करने के लिए हमला किया गया उत्तर कोरिया द्वारा दक्षिण कोरिया पर जब हमला किया गया तब अमेरिका द्वारा इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र संघ में ले जाया गया और सुरक्षा परिषद में उस समय यूएसएसआर अब्सेंट था इस कारण से यूएसए द्वारा रेजोल्यूशन पास करवाया गया और दक्षिण कोरिया के सहायता के लिए यूनाइटेड नेशन की सेना को भेजा गया इसके साथ अमेरिका द्वारा अपनी नाटो की सेना को भी दक्षिण कोरिया की सहायता के लिए भेजा गया उधर उत्तर कोरिया द्वारा लगभग दक्षिण कोरिया के अधिकांश भाग पर अपना कब्जा स्थापित कर लिया गया था लेकिन जब अमेरिका की सेना एवं यूनाइटेड नेशन की सेना साउथ कोरिया के समर्थन के लिए आई तो साउथ कोरिया धीरे धीरे अपने क्षेत्र पर कब्जा साबित करने लगी और ३८ डिग्री अक्षांश तक उसका कब्जा स्थापित हो गया इसके साथ ही दक्षिण कोरिया द्वारा उत्तर कोरिया के क्षेत्र पर भी कब्जा किया जाने लगा और यह कब जा लगभग चीन के सीमाओं तक पहुंच चुका था ऐसी स्थिति में उत्तर कोरिया के समर्थन के लिए चीन की सेना अभी इस युद्ध में शामिल हो गए जिसके परिणाम स्वरूप दक्षिण कोरिया को पुणे पीछे हटना पड़ा अब दोनों सेनाएं ३८ डिग्री अक्षांश के पास ही युद्ध करने लगी ऐसी स्थिति में यहां पर युद्ध २ वर्षों तक उसी स्थिति में चलता रहा तब जाकर भारत के सहयोग तथा यूएसएसआर और यूएसए के सहभागिता के आधार पर १९५३ ईस्वी में इस युद्ध का अंत हुआ इस संपूर्ण घटना को ही कोरिया संकट के नाम से जाना जाता है शीत युद्ध के दौरान यह एक भयावह घटना थी ऐसी स्थिति में इसमें बहुत सारे लोगों की जानें भी गई थी इसमें लगभग २५ लाख साधारण लोगों की जानें गई इसके साथ साथ लगभग १० लाख सैनिकों की जान गई इतने छोटे से देश में इतनी बड़ी क्षति काफी अधिक होती है इस कारण से इस घटना ने शीत युद्ध को और भी अधिक गंभीर बना दिया

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