NEW

24 April 2020

वायु मंडल एवं उस की विभिन्न परतें( atmosphere and various layers of atmosphere)


वायुमंडल   (Atmosphere ):-पृथ्वी के चारों ओर वायु का विस्तृत आवरण पाया जाता है इस आवरण को वायुमंडल के नाम से जाना जाता है वायुमंडल विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण होता है जोकि पृथ्वी की सतह के ऊपर 400 किलोमीटर तक की औसत ऊंचाई पर पाया जाता है वायुमंडल पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण पृथ्वी के चारों ओर टिका रहता है इसी कारण से यहां पर जीवो की उत्पत्ति हो पाई है एवं सजीवों का विकास हो पाया है अगर वायुमंडल नहीं होता तो पृथ्वी हुई चंद्रमा की तरह ही विरान होती
 पृथ्वी के वायुमंडल में गैसों की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण है जिसमें से वायुमंडल के कुल 99% भाग में सिर्फ ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन की ही उपस्थिति पाई जाती है इसके अलावा ऑर्गन कार्बन डाइऑक्साइड नियॉन हीलियम एवं ओजोन  जैसे गैस 1% भाग में पाए जाते हैं
 इन गैसों में कुछ हल्की गैस होते हैं तथा कुछ भारी कैसे होती है भारी कैसे वायुमंडल की निचली भागों में पाई जाती हैं जबकि हल्की कैसे ऊंचाई वाले भाग में पाई जाती हैं उदाहरण के रूप में ऑक्सीजन कार्बन डाइऑक्साइड नाइट्रोजन हाइड्रोजन जैसी कैसे कम ऊंचाई वाले भाग में पाई जाती हैं जबकि हीलियम नियॉन  क्रिप्टन अधिक ऊंचाई पर पाई जाती है
 गैसों के अलावा वायुमंडल के निर्माण में जलवाष्प एवं धूल कण की भी भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है जल वायु मंडल के 5% भाग में पाए जाते हैं वायुमंडल में उपस्थित जल की  छोटे-छोटे कणों को जलवाष्प कहा जाता है यह जलवाष्प पृथ्वी पर उपस्थित सतही जल मिट्टी पेड़ पौधों से प्राप्त होते हैं यह पृथ्वी में तापमान को संतुलित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं
गैसों के अलावा वायु में उपस्थित धूल के छोटे-छोटे कणों को धूल कण के नाम से जाना जाता है  यह धूल कन भी वायुमंडल में तापमान को संतुलित रखने तथा सुबह और शाम के समय आकाश के रंग में परिवर्तन तथा रात के समय तारों के टीम टीम आने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

 वायुमंडल की परतें (layers of atmosphere):-
 वायुमंडल की परतों को पांच मुख्य भागों में बाटा गया है इन  परतों की खोज अलग-अलग समय में अलग-अलग विद्वानों द्वारा हुई है  आज इन परतों  के बारे में  जानकारी रॉकेट रडार कृत्रिम उपग्रह इत्यादि से आसानी से प्राप्त की जा सकती है यह पांच प्रमुख परतें निम्नलिखित है,:-
1) छोभ मंडल( ट्रोपोस्फीयर):- वायुमंडल की सबसे पहली एवं सबसे निचली परत को छोभ मंडल के नाम से जाना जाता है छोभ मंडल को परिवर्तन मंडल  कि नाम से भी जानते हैं सारी मौसम संबंधी गतिविधिया वायुमंडल की परत पर होती है इसकी ऊंचाई 8 से 10 किलोमीटर ध्रुव पर तथा विषुवत रेखा पर 18 से 20 किलोमीटर पाई जाती है इसकी औसत ऊंचाई 14 किलोमीटर होती है छोभ मंडल की सबसे बड़ी विशेषता है की समुद्र तल से 165 मीटर की ऊंचाई पर जाने पर 1 डिग्री सेल्सियस तापमान घटता जाता है तापमान का  सामान्य  हरा सदर( normal lapse rate ) भी कहा जाता है ऑक्सीजन जलवाष्प   धूल कन जैसे  तत्व भी  इसी परत पर पाए जाते हैं छोभ मंडल की अधिकतम ऊंचाई पर पहुंचने पर तापमान माइनस 50 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है
 छोभ मंडल और समताप मंडल को अलग करने वाली रेखा को ट्रोपोपॉज के नाम से जानते हैं
2) समताप मंडल  (stratosphere):- समताप मंडल पृथ्वी की वायु मंडल की दूसरी एवं छोभ मंडल के बाद उसके ऊपर पाई जाने वाली परत है इसकी ऊंचाई पृथ्वी की सतह से 50 किलोमीटर तक पाई जाती है समताप मंडल में शुरुआत में जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती है वैसे वैसे तापमान भी बढ़ता है लेकिन तापमान के बढ़ने का यहां पर कारण ओजोन गैस की उपलब्धता होता है इसके बाद तापमान स्थिर हो जाता है और  समताप मंडल की अधिकतम ऊंचाई तक तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है  इस मंडल की खोज सबसे पहले 1902 मे Teisserence de Bort  द्वारा की गई थी
इसी परत के निचले भाग में ओजोन मंडल की स्थिति पाई जाती है इस परत में  धूल कन की अनुपलब्धता के कारण यहां पर जेट एवं वायु यान उड़ते हैं समताप मंडल और मध्य मंडल को अलग करने वाली सीमा को Stratopause  कहते हैं
3) मध्य मंडल (mesosphere):-

Popular Posts

Contact Us