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25 April 2020

Coral Reef (प्रवाल भित्ति)

Coral:- समुद्री जीवो  मैं एवं समुद्री जैव विविधता में प्रवाल का अपना अलग ही महत्व है प्रवाल एवं प्रवाल  भित्ति समुद्र के अंदर एक विशेष प्रकार की   जैव विविधता का  निर्माण करती है
     समुंद्र उपस्थित अत्यंत सूक्ष्म समुद्री जीवो को प्रवाल या कोरल पोलिप के नाम से आ जाना जाता है साधारण शब्दों में इन्हें मूंगा के नाम से भी इ जाना जाता है प्रवाल उष्णकटिबंधीय जीव है जोकि उष्णकटिबंधीय महासागरों में पाया जाता है इसका विस्तार २५ डिग्री उत्तरी अक्षांश से लेकर २५ डिग्री दक्षिणी अक्षांश के मध्य पाया जाता है चुकी मूंगा एक अत्यंत कोमल जीव होता है इस कारण से यह अपने रक्षा के लिए अपने लिए समुद्र में उपस्थित कैल्शियम कार्बोनेट से कठोर घरऔंदी का निर्माण करता है जिसे प्रवाल भित्ति के नाम से जाना जाता है जब प्रवाल मरते हैं तो एक पर एक जमा हो जाते हैं जिससे एक विशेष प्रकार की स्थलाकृति का विकास होता है प्रवाल एक अत्यंत संवेदनशील जीव है इनकी परिस्थिति में थोड़ा भी बदलाव होने पर यह उसे सहन नहीं कर पाते और इनकी मृत्यु हो जाती है इस कारण से इनके विकास के लिए कुछ आवश्यक दशाएं हैं यह दशाएं जहां पर उपलब्ध होती हैं वहीं पर प्रवाल का विकास होता है:-
 तापमान:- प्रवाल एक उष्णकटिबंधीय जीव है इस कारण से या उष्णकटिबंधीय महासागरों में ही पनपता है प्रवाल के विकास के लिए औसत तापमान 20 डिग्री से लेकर 21 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए यदि समुद्री जल का तापमान इसके मध्य पाया जाता है तो प्रवाल का विकास अच्छे तरीके से होता है यदि नहीं तो वहां पर प्रवाल का विकास नहीं हो पाता
 गहराई:- प्रवाल का विकास एक निश्चित गहराई वाले क्षेत्र में पाया जाता है प्रवाल कम गहरे सागरों में अच्छे तरीके से पनपता है जबकि अधिक गहराई वाले क्षेत्रों में इसका विकास नहीं पाया जाता जिन समुद्र की गहराई 200 से लड़ाई 100 फीट पाई जाती है वहां पर प्रवाल का विकास अच्छे से होता है लेकिन कुछ कुछ उदाहरण इससे भी अधिक गहराई के मिलते हैं कुछ क्षेत्रों में प्रवाल 300 फीट तक की गहराई वाली क्षेत्र में पाए जाते हैं
 अवसाद:- सवाल का विकास स्वच्छ जल वाले क्षेत्रों में होता है वैसे समुद्री भाग जहां पर अवसाद की मात्रा कम पाई जाती है उन क्षेत्रों में प्रवाल का विकास होता है जिनसे क्षेत्रों में अवसाद अधिक मात्रा में पाए जाते हैं वहां पर प्रवाल जीवित नहीं रह पाते क्योंकि उनके मुंह में अवसाद जमा हो जाते हैं और वह सांस नहीं ले पाते जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है
लवणता:- प्रवाल एक अत्यंत कोमल एवं संवेदनशील  जीव है इस कारण से यह अधिक लवणता वाले क्षेत्र में नहीं उत्पन्न हो पाते जिन शहरों एवं महासागरों में औसत लवणता 27 से 30 प्रति हजार के मध्य पाई जाती है वहां पर प्रवाल का विकास अधिक पाया जाता है जबकि 35 प्रति 1000 लवणता वाले क्षेत्र में भी प्रवाल का विकास पाया जाता  है
Coral Reef Shiekshaa
Coral Reef

Coral Reef Shiekshaa
Coral Reef

Coral Reef Shiekshaa
Coral Reef


स्वच्छ जल:- पूर्णता स्वस्थ जल प्रवाल के विकास के लिए अच्छा नहीं होता जल पूर्ण रुप से स्वच्छ होने के कारण प्रवाल को भोजन की प्राप्ति नहीं हो पाती एवं उनकी मृत्यु हो जाती है
 सागरीय धाराएं:- प्रवाल की विकास में सागरीय धाराओं का महत्व काफी अधिक है यह धाराएं एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाती हैं जो कि तापमान को संतुलित बनाए रखती हैं इसके साथ साथ भोजन को भी एक स्थान से दूसरे स्थान पर लेकर जाती है इस कारण से प्रवाल का विकास लैगून वाले क्षेत्रों एवं धारा के आसपास के क्षेत्रों में भी हो पाता है
 अंतत सागरीय चबूतरे:- प्रवाल का विकास के लिए समुद्र की तली पर अंतत सागरीय चबूतरो का होना काफी आवश्यक होता है इन अंतर सागरी चबूतरो पर ही प्रवाल विकसित होते हैं इन चबूतरो की गहराई 50 फैदम तक पाई जाती है इस पर प्रवाल विकसित होकर ऊपर की ओर बढ़ते हैं और सागर कल तक बढ़ते जाते हैं
 सूर्य का प्रकाश:- प्रवाल एक उष्णकटिबंधीय जीव है एवं इसके विकास के लिए सूर्य का प्रकाश होना काफी आवश्यक है जिस गहराई तक सूर्य का प्रकाश पहुंचता है वहीं तक प्रवाल का विकास होता है प्रवाल सूर्य के प्रकाश को प्राप्त करने के लिए समुद्र की तली से ऊपर की ओर बढ़ते हैं
 नदी:- प्रवाल को प्रभावित करने में नदी की भूमिका महत्वपूर्ण होती है जिन क्षेत्रों में बड़ी नदियों के मुंह आने पाए जाते हैं उसके आसपास के क्षेत्र में प्रवाल का विकास नहीं होता क्योंकि वहां पर  अवसादो की मात्रा अधिक होती है इस कारण से प्रवाल का विकास नहीं हो पाता जिन क्षेत्रों में छोटी नदियां पाई जाती हैं वहां पर प्रभाव का विकास होता है 
प्रवाल को उनकी उत्पत्ति एवं स्थिति के आधार पर विभिन्न भागों में वर्गीकृत किया जाता है
उत्पत्ति के आधार पर प्रभाव को तीन भागों में बांटा गया है
1) तटीय प्रवाल
2) अवरोधक प्रवाल
3) वलयकार प्रवाल
1) तटीय प्रवाल:- कम गहरे सागरों में एवं समुद्र तट के पास स्थित अंतः सागर यह चबूतरो में जो प्रवाल का विकास होता है उसे तटीय प्रवाल कहते हैं तटीय प्रवाल अक्सर समुद्र तट के पास स्थित होते हैं लेकिन कभी-कभी तट एवं प्रवाल के मध्य अंतर पाया जाता है इस अंतर के कारण  प्रवाल और तट के मध्य एक लैगून की स्थिति पाई जाती है
2)अवरोधक प्रवाल:- जब प्रवाल का विकास तट से दूर खुली समुद्र की ओर होता है तो प्रवाल तक एवं असली समुद्र में के मध्य अवरोध का कार्य करने लगती है जिसे अवरोधक प्रवाल कहते हैं इस तरह के अवरोधक प्रवाल एक साथ ना होकर कटी फटी होते हैं जिसकी मदद से समुद्र का जल एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता है विश्व का सबसे बड़ा अवरोधक प्रवाल ऑस्ट्रेलिया का ग्रेट बैरियर रीफ है जो कि ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर स्थित है इन अवरोधक प्रवाल के मध्य में वोट चैनल भी पाए जाते हैं

3)वलयकार प्रवाल:-जब किसी द्वीप के चरों प्रबल का का विकास होता है तो उसे वलय कार प्रवाल कहते हैं वलय कार प्रवाल छल्ले नुमा आकृति का होता है जो चारों ओर से घिरा होता है एवं उसका एक भाग खुला रहता है जिससे समुद्र का जल लैगून से जुड़ा रहता है द्वीप एवं प्रवाल के मध्य एक कम गहरा लैगून भी पाया जाता है कभी-कभी प्रवाल का विकास पहले हो जाता है और उसके बाद समुद्री लहरों के  नीछेपन के कारण उसमें द्वीप का निर्माण होता है इस तरह के  वलयकार प्रवाल का सबसे अच्छा उदाहरण मालद्वीप में देखने को मिलता है 

स्थिति के आधार पर प्रवाल के प्रकार
1) उष्णकटिबंधीय प्रवाल:- प्रवाल एक उष्णकटिबंधीय जीव है जोकि उष्णकटिबंधीय समुद्रों में ही विकसित होते हैं उष्णकटिबंधीय प्रवाल का विकास 25 डिग्री उत्तरी अक्षांश से लेकर 25 डिग्री दक्षिणी अक्षांश के मध्य पाया जाता है उष्णकटिबंधीय सागरों मैं प्रवाल के विकास के लिए सभी आवश्यक दशाएं उपलब्ध होती हैं इस कारण से यहां पर सवाल का विकास होता है लेकिन जीरो से 5 डिग्री के मध्य दोनो गोलार्ध में प्रवाल का विकास नहीं पाया जाता क्योंकि यहां पर समुद्री जल का तापमान अधिक होता है इस कारण से प्रवाल इस तापमान को सह नहीं पाते
2) सीमांत प्रवाल:- सीमांत प्रवाल का विकास साधारण रूप से 30 डिग्री से लेकर 45 डिग्री के मध्य दोनों को गोलार्ध में पाया जाता है यहां पर प्रवाल के विकास के लिए कुछ आवश्यक बताओ कि उपलब्ध होने के कारण क्षेत्रों में प्रवाल का विकास होता है अक्सर प्रवाल महाद्वीप है पूर्वी तट पर पाए जाते हैं क्योंकि यहां पर गर्म धाराएं बहती है इस कारण से प्रवाल के विकास के लिए यहां पर उचित तापमान अवसाद एवं भोजन की उपलब्धता हो जाती है इसलिए यहां पर सवाल का विकास आसानी से हो जाता है और इन्हीं  प्रवालो को सीमांत प्रवाल कहते हैं

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