पृथ्वी पर उपस्थित किसी स्थान को जब अक्षांश एवं देशांतर रेखाओं की सहायता से समतल कागज पर अंकित किया जाता है तो उसे मानचित्र प्रक्षेप कहते हैं मानचित्र प्रक्षेप एक प्रक्रिया है जिसके सिर्फ पृथ्वी पर उपस्थित स्थान को समतल कागज पर अंकित किया जाता है
पृथ्वी का वास्तविक चित्रण ग्लोब द्वारा ही संभव होता है मानचित्र प्रक्षेप से किसी भी क्षेत्र के क्षेत्रफल दिशा तथा आकार को सही तरीके से प्रदर्शित नहीं किया जा सकता इससे गन्ना तो होती है पर अशुद्ध होती है इसके पूरे गुणों को शुद्ध रूप में प्रदर्शित नहीं किया जा सकता इसमें कभी भी क्षेत्रफल दिशा तथा आकार को एक साथ सही-सही प्रदर्शित नहीं कर सकते इसका सबसे बड़ा कारण यदि क्षेत्र में आकार को सही तरीके से प्रदर्शित किया जाए तो क्षेत्रफल में अंतर आ जाता है जितनी भी प्रचलित हो का निर्माण किया जाता है सारे प्रक्षेप छोटे मापक पर बनाए जाते हैं अतः यह सभी जनों के माप को सही तरह से प्रदर्शित नहीं करते
प्रक्षेप के प्रकार
प्रकाश के प्रयोग के आधार पर प्रक्षेप को दो भागों में विभाजित किया जाता है
पहला संदर्श मानचित्र प्रक्षेप
दूसरा असंदर्श मानचित्र प्रक्षेप
रचना विधि के आधार पर
सरल शंकु प्रक्षेप
संशोधित प्रक्षेप
बोंस प्रक्षेप
बेलनाकार प्रक्षेप
मर्केटर प्रक्षेप इत्यादि